SSLC RESULT 2020 JUNE 30

വിജയതീരത്തേക്ക് ഇനി നമുക്ക് ഒരുമിച്ച് നടക്കാം......കുട്ടികളെ അറിവിന്റെ പാതയിലേക്ക് കൈപിടിച്ചുയര്‍ത്താം,..വിദ്യാര്‍ഥികള്‍ക്ക് അവരുടെ പഠനനിലവാരം ഉയര്‍ത്താന്‍,രക്ഷിതാക്കള്‍ക്ക് വിദ്യാലയത്തിലെ പ്രവര്‍ത്തനം മനസ്സിലക്കാന്‍- ഞങ്ങള്‍ അധ്യാപകര്‍ ചേര്‍ന്നുള്ള ഒരു ശ്രമം മാത്രമാണ് ഇത് -സമൂഹത്തിന്‌ വഴികാട്ടികളായി ഞങ്ങള്‍ എന്നും ഉണ്ടാകും നിങ്ങള്‍ക്കൊപ്പം
-Team karuvanpoyil

By education I mean an all-round drawing out of the best in child and man-body, mind and spirit. Literacy is not the end of
education or even the beginning.”
~MK Gandhi


Thursday 11 August 2016

ഹിന്ദി, ഇംഗ്ലീഷ്, മലയാളം, അറബിക് എന്നീ ഭാഷകളില്‍*   independence day quiz questions

Tuesday 5 July 2016

hindi അക്ഷൗഹിണി



അക്ഷൗഹിണി
പ്രാചീനഭാരതത്തിലെ വലിയ ഒരു സേനാവിഭാഗം. 21870 ആന, അത്രയും തന്നെ രഥം, അതിന്റെ മൂന്നിരട്ടി (65,610) കുതിര, അഞ്ചിരട്ടി (109,350) കാലാൾ എന്നിവ അടങ്ങിയ സൈന്യം.അക്ഷൗഹിണിക്കുമേൽ മഹാക്ഷൗഹിണി എന്നൊരു വിഭാഗംകൂടിയുണ്ട്. അത് 1,32,12,490 ആനയും അത്രയും തേരും, 3,96,37,470 കുതിരയും 6,60,62,450 കാലാളും അടങ്ങിയതാണ്. ഭാരതയുദ്ധത്തിൽ പാണ്ഡവപക്ഷത്ത് ഏഴ്, കൌരവപക്ഷത്ത് പതിനൊന്ന് ഇങ്ങനെ ആകെ 18 അക്ഷൌഹിണിപ്പട പങ്കെടുത്ത് ചത്തൊടുങ്ങിയതായി മഹാഭാരതത്തിൽ പറഞ്ഞുകാണുന്നു.
ഏകേഭൈകരഥാ ത്ര്യശ്വാ പത്തിഃ പഞ്ചപദാതികാ
പത്ത്യംഗൈസ്ത്രിഗുണൈസ്സർവ്വൈഃ ക്രമാദാഖ്യാ യഥോത്തരം
സേനാമുഖം ഗുല്മഗണൌ വാഹിനീ പൃതനാ ചമൂഃ
അനീകിനീ ദശാനീകിന്യക്ഷൌഹിണ്യഥ സമ്പദിഃ
ഒരു തെരാനയോന്നഞ്ച് ,വെറും കാലാൾ ഹയത്രയം ,ഇത്ഥമൊത്താലതിനോതും പത്തിയെന്നറിവുള്ളവർ :പത്തി മൂന്നൊക്കുകിൽ സേനാ -മുഖമെന്നോതുമേ  ബുധർ:,മൂന്നുസേനാമുഖം കൂടി -യെന്നാലോ ഗുൽമമെന്നു പേർ ,മൂന്നു ഗുൽമം ഗണം,മൂന്ന് ഗണം ചേർന്നത്വാഹിനി ,മൂന്നു വാഹിനിയൊന്നിച്ചു ചേർത്താൽ പൃതനയെന്നു പേർ ,മൂന്ന് പൃതന ചേർന്നത്  ചമു,മൂന്നു ചമു  ചേർന്നാൽ അനീകിനിയെന്നുപേർ പത്തനീകിനി  ചേർന്നാലോ  അതൊരക്ഷൌഹിണി  ആയിടും.                 THRIVIKRAMAN PV, GHSS KARUVANPOYIL

ബിംബം പ്രതീകം, ഭാവം,ശില്പം



भाव पक्ष और कला पक्ष- 
कविता का सीधा सम्बन्ध हृदय से होता हैकविता में कही गई बात का असर तेज और स्थायी होता हैकविता के दो पक्ष होते हैंआन्तरिक यानि भाव पक्ष और बाह्य यानि कला पक्षसर्वप्रथम कला पक्ष पर विचार करेंकविता को मर्मस्पर्शी बनाने में सार्थक ध्वनि समूह का बड़ा महत्व हैविषय को स्पष्ट और प्रभावशाली बनाने में शब्दार्थ योजना का बड़ा महत्व हैशब्दों का चयन कविता के बाहरी रूप को पूर्ण और आकर्षक बनाता हैकवि की कल्पना शब्दों के सार्थक और उचित प्रयोग द्वारा ही साकार होती हैअपनी हृदयगत भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए कवि भाषा की अनेक प्रकार से योजना करता है ओर इस प्रकार प्रभावशाली कविता रचता हैशब्द शक्ति, शब्द गुण, अलंकार लय तुक छंद, रस, चित्रात्मक भाषा इन सबके सहारे कविता का सौंदर्य संसार आकार ग्रहण करता हैलय और तुक कविता को सहज गति और प्रवाह प्रदान करते हैंलयात्मकता कविता को संगीतमय और गेय बनाती है जिससे कविता आत्मा के तारों को झंकृत कर अलौंकिक आनन्द प्रदान करती हैकविता में तुक का भी अपना एक अलग स्थान हैं जब किसी छन्द के दो चरणों के अन्त में अत्न्यानुप्रास आता है तो उसे तुक कहा जाता है जिसके कारण कविता में माधुर्य और प्रभाव बढ़ जाता है

शिल्पगत विशेषताएँ- 

नई कविता ने लोक-जीवन की अनुभूति, सौंदर्य-बोध, प्रकृत्ति और उसके प्रश्नों को एक सहज और उदार मानवीय भूमि पर ग्रहण कियासाथ ही साथ लोक-जीवन के बिंबों, प्रतीकों, शब्दों और उपमानों को लोक-जीवन के बीच से चुनकर उसने अपने को अत्यधिक संवेदनापूर्ण और सजीव बनायाकविता के ऊपरी आयोजन नई कविता वहन नहीं कर सकतीवह अपनी अन्तर्लय, बिंबात्मकता, नवीन प्रतीक-योजना, नये विशेषणों के प्रयोग, नवीन उपमान में कविता के शिल्प की मान्य धारणाओं से बाकी अलग है

नई कविता की भाषा किसी एक पद्धति में बँधकर नहीं चलतीसशक्त अभिव्यक्ति के लिए बोलचाल की भाषा का प्रयोग इसमें अधिक हुआ हैनई कविता में केवल संस्कृत शब्दों को ही आधार नहीं बनाया है, बल्कि विभिन्न भाषाओं के प्रचलित शब्दों को स्वीकार किया गया हैनए शब्द भी बना लिए गये हैंटोये, भभके, खिंचा, सीटी, ठिठुरन, ठसकना, चिडचिड़ी, ठूँठ, विरस, सिराया, फुनगियानाजैसे अनेक शब्द नई कविता में धड़ल्ले से प्रयुक्त हुए हैंजिससे इसकी भाषा में एक खुलापन और ताज़गी दिखाई देती हैइसकी भाषा में लोक-भाषा के तत्व भी समाहित हैंनई कविता में प्रतीकों की अधिकता हैजैसे- साँप तुम सभ्य तो हुए नहीं, होंगे, नगर में बसना भी तुम्हें नहीं आयाएक बात पूँछु? उत्तर दोगे! फिर कैसे सीखा डँसना? विष कहाँ पाया? (अज्ञेय) नई कविता में बिंब भी विपुल मात्रा में उपलब्ध हैनई कविता की विविध रचनाओं में शब्द, अर्थ, तकनीकी, मुक्त आसंग, दिवास्वप्न, साहचर्य, पौराणिक, प्रकृति संबंधी काव्य बिंब निर्मित्त किए गये हैंजैसे- सामने मेरे सर्दी में बोरे को ओढकर, कोई एक अपने, हाथ पैर समेटे, काँप रहा, हिल रहा,-वह मर जायेगा। (मुक्तिबोध)नई कविता में छंद को केवल घोर अस्वीकृति ही मिली हो- यह बात नहीं, बल्कि इस क्षेत्र में विविध प्रयोग भी किये गये हैंनये कवियों में किसी भी माध्यम या शिल्प के प्रति तो राग है और विरागगतिशालता के प्रभाव के लिए संगीत की लय को त्यागकर नई कविता ध्वनि-परिवर्तन की ओर बढ़ती गई हैएक वर्ण्य विषय या भाव के सहारे उसका सांगोपांग विवरण प्रस्तुत करते हुए लंबी कविता या पूरी कविता लिखकर उसे काव्य-निबंध बनाने की पुरानी शैली नई कविता ने त्याग दी हैनई कविता के कवियों ने लंबी कविताएँ भी लिखी हैंकिन्तु वे पुराने प्रबंध काव्य के समानान्तर नहीं हैनई कविता का प्रत्येक कवि अपनी निजी विशिष्टता रखता हैनए कवियों के लिए प्रधान है सम्प्रेषण, कि सम्प्रेषण का माध्यमइस प्रकार हम देखते हैं कि नई कविता कथ्य और शिल्प-दोनों ही दृष्टियों से महत्वपूर्ण उपलब्धि है